अँधेरे में लिखा एक सपना

अँधेरे में लिखा एक सपना

"अंधेरे में लिखा सपना"

एक नेत्रहीन लड़के की रौशनी से भरी कहानी
📍 स्थान: बिहार के गया ज़िले का एक छोटा सा गाँव
👦 मुख्य पात्र: दीपक (उम्र – 18 वर्ष)

🧒 शुरुआत – जब रौशनी छिन गई

दीपक सिर्फ़ पाँच साल का था, जब एक तेज़ बुखार ने उसकी ज़िंदगी बदल दी। इलाज में देरी हुई और डॉक्टरों ने कह दिया – "अब ये बच्चा कभी देख नहीं सकेगा।"

घर में गहरी खामोशी छा गई। पिता एक छोटे किसान थे, माँ अक्सर चुपचाप रोया करती थीं। गाँव के लोग कहते थे:

"अब ये बच्चा क्या करेगा? पूरी ज़िंदगी दूसरों पर निर्भर रहेगा..."

लेकिन माँ ने हार नहीं मानी। उन्होंने उसका हाथ थामा और कहा:

"बेटा, तुम भले ही दुनिया को ना देख सको, लेकिन दुनिया को ये ज़रूर दिखा सकते हो कि सच्चा साहस क्या होता है।"


📚 सच्ची शिक्षा – उँगलियों से शब्दों को महसूस करना

दीपक को नेत्रहीनों के लिए एक सरकारी स्कूल में दाखिल किया गया, जहाँ उसने ब्रेल लिपि सीखी – एक ऐसी लिपि जिसे छूकर पढ़ा जाता है।

शुरुआत में वह रोता, गुस्सा करता, खुद को बेबस महसूस करता। एक दिन उसने माँ से पूछा:

"क्या मैं कभी अफ़सर बन सकता हूँ?"
माँ ने मुस्कुरा कर कहा:
"अगर तू खुद पर विश्वास रखे, तो सब कुछ मुमकिन है।"

उस दिन से दीपक ने खुद को बदल दिया।

वह सुबह 4 बजे उठता, क्लास के बाद घंटों लाइब्रेरी में बैठा रहता। जब बाकी बच्चे खेलते, वह उँगलियों से पन्ने पलटता, हर शब्द में उजाला ढूंढता।


🏆 पहली सफलता की रौशनी

12वीं बोर्ड परीक्षा में, दीपक ने पूरे जिले में टॉप किया – बिना आँखों के, सिर्फ़ मेहनत और ब्रेल की ताकत से।

ये खबर सुनकर पूरा गाँव चौंक गया।

जो लोग कहते थे, "ये बोझ है," अब वही गर्व से कहते थे,
"ये हमारे गाँव का हीरो है!"


🎓 आगे की यात्रा – जहाँ अंधेरे में भी रौशनी है

आज दीपक दिल्ली विश्वविद्यालय में मेहनती छात्र है।

न उसके पास दृष्टि है, न कोई विशेष सुविधा। लेकिन उसके पास है –
एक जलता हुआ सपना और करोड़ों के लिए उम्मीद।

उसका सपना?

"IAS अफ़सर बनकर उन लोगों की आवाज़ बनना, जिन्हें समाज ने ‘कमज़ोर’ मान लिया है।"

हर रात वह ब्रेल में पढ़ता है, स्क्रीन रीडर से शब्द खोजता है, और दिनभर की थकान के बावजूद कभी लक्ष्य नहीं भूलता।

वह अपनी पढ़ाई स्कॉलरशिप से करता है – और अब तो वह नेत्रहीन बच्चों के लिए फ्री ऑनलाइन क्लासेस भी लेता है, ताकि कोई और दीपक अंधेरे में अकेला न रह जाए।


💡 कहानी का संदेश

"दुनिया को देखने के लिए आँखें नहीं, एक दृष्टि चाहिए।"
"अगर दृष्टि नहीं है, तो कोई बात नहीं – जब तक अंतर्दृष्टि है।"

दीपक कहता है:

"मैं देख नहीं सकता, लेकिन मैं साफ़ देखता हूँ – एक ऐसा भविष्य, जहाँ कोई बच्चा अंधेरे में अकेला न रह जाए।" 🌟

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